स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर वहाँ की पत्रिकाओं में निरंतर लेख लिखता रहता था। साहित्य और संगीत एक गहरा रूझान मेरे व्यक्तित्व को किशाोरावस्था से आकर्षित करता रहा। इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में आचार्य पद पर कार्यरत होने के दौरान अनेक तकनीकि पाठ्यक्रम पुस्तकों का लेखन किया। सेवा-निवृत्ति के पश्चात् जिस प्रकार सूर्यास्त के बाद के अंधकार में भी आशा के दीप झिलमिलाते हैं, इसी मूलमंत्र को अपनाते हुए पुनः आज इस अतुलनीय अभिलेखों के संग्रह को आपके हाथों में रख रहा हूँ। इस संग्रह की विशेषता यह है कि ये कृतियाँ लेखक के रूप में मेरी कल्पना मात्र न होकर रोचक घटनाओं में घटित हुई हैं तथा इन्होंने मेरे व्यक्तित्व एवं ह्रदय को प्रभावित किया है। सामाजिक स्थिति और मन स्थिति का प्रतिबिम्ब इन पर पड़ना स्वाभाविक था। इसका अनुभव आपको स्वयं होगा। अगर ये संग्रह कृतियाँ ......... चिंगारी को हवा दे सकें, तो मेरा श्रम सार्थक है। हमेशा की तरह आपके स्नेह की आकांक्षा रहेगी।