जय नारायण सिंह, एक समाज सेवी और शिक्षाविद पिता स्व. सत्य नारायण सिंह की देख-रेख में पले व बढ़े हैं, स्वाभाविक है उनमें अपने पिता जैसी समाज उत्थान की सोच और साहित्य से लगाव का होना। आपका जन्म 15 जनवरी 1954 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सुदूर में स्थित ग्रामीण क्षेत्र के गांव भवानीपुर में हुआ था। रायबरेली जिले का यह भूभाग बैसवारा के नाम से विख्यात है जहां कहा जाता है कि साहित्य और कविता की खेती होती है। आपने इंग्लिश लिटरेचर से एम ए करने के बाद 8 अगस्त 1975 से 31 जनवरी 2014 तक एक राष्ट्रीयकृत बैंक में विभिन्न पदों में रहते हुए देश की सेवा की है। जहां पिताजी ने क्षेत्र में कई कालेज की स्थापना करके एक गौरवमयी इतिहास रचा था वहीं जय नारायण सिंह ने उ. प्र. के रायबरेली, सुल्तानपुर, अम्बेदकरनगर और अमेठी जिले के अग्रणी जिला प्रबन्धक के रूप में कार्य करते हुए विकास को गति देकर सम्मान प्राप्त किया। साहित्य के क्षेत्र में भी आपकी अभिरूचि है। आपने नोबेल पुरस्कार प्राप्त कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर की गीतांजलि का हिन्दी भावानुवाद किया है जो जन जन द्वारा सराहा गया है।