Dharmanand Bhatt
मैं भी बचपन में स्वस्थ माँ-बाप की गोद में पला । ज्योंही इस संसार में कदम रखते ही १४ साल की अवस्था में आँखों की रोशनी ६ साल के लिए चली गई। जैसे ही इस दशा से ठीक हुआ सांसारिक परिवार एवं शिक्षा अर्जन कर अध्यापक पद प्राप्त किया। धीरे-धीरे सब ठीक चल रहा था । अचानक पक्षाघात (लकवा) से पीड़ित होकर संसार की भाग दौड़ भरी जिंदगी से मुक्त हुआ । मैं कभी भी शारीरिक रुप से परेशान न हुआ क्योंकि मैंने "आत्मदर्शन" कर लिया था ।