मैं एकता रायजादा, 33 वर्षीय, वर्किंग वूमेन हूं, जिसकी खुदकी अपनी पहचान है, वजूद है। मैं एक औरत, जो हर रिश्ता निभाती है पर उसके साथ-साथ खुद की पहचान बनाना जानती है। मैं संगम नगरी, प्रयागराज से हूं, इंजीनियरिंग बीबीडी कॉलेज से,आज एक इलेक्ट्रिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में अच्छे पद परकार्यरत हूं।हमेशा से अपनी पहचान बनाने का जज्बा खुद में और दूसरों मेंदेखने की इच्छा, मुझे प्रेरित करती थी लिखने के लिए। मेरी 3 वर्षीय बेटी आरवी, जिसकी मैं मां हूं, उसे यह कहानी समर्पित करती हूं। मैं एक कवित्री और लेखक दोनों हूं, इसलिए मेरी पुस्तक के बीच-बीच के चरणों में मैंने कविता की पंक्तियों से पलों को बांधा है।