बन्द आख़िर हर दरवाज़ा खुलता है
ज़िद हो दिल में तो रास्ता मिलता है
सरगोशियां: अनकही अनसुनी, गोपाल कृष्ण रंजन की उर्दू ग़ज़लों की पहली इंतिख़ाब ( संग्रह) है | इन ग़ज़लों का परिदृश्य बहुत विस्तृत है और ये जीवन के लगभग सभी पहलुओं को छूते हैं | गोपाल उर्दू ग़ज़लों की दुनिया में नई पीढ़ी की एक उभरती हुई मुखर आवाज़ हैं | यह संग्रह सभी कविता और ग़ज़ल प्रेमियों को पसंद आएगी और अपने संग्रह का इसे हिस्सा बनाएँगे |