अंधेरा अन्त नही अंधेरा तो हमें साक्षात्कार कराता है खुद के अस्तित्व से, प्रकाश की किरणों से, नवविहान से।
अंधेरे को अपने ऊपर घमण्ड नहीं बल्कि वह छटपटाता रहता है प्रकाश के आने को जिससे उसके ऊपर लगा कालिमा का दाग मिट जाए। अंधेरा मृत्यु नहीं वरन पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित हैं जो पुण्य के प्रकाश से धुल जाते हैं। अंधेरे की रोशनी देने वाला भले भगवान न हो पर भगवान से कम नहीं होता। हजारों घरों को जो आत्मनिर्भर बनाए, बिछड़ों को मिलाए, बच्चों को किलकारी दे, पशु पक्षियों को चारा पानी दे, जन जन में सुख बांट दे वह प्रकाश पुंज समाज के लिए भगवान से कम नहीं। ऐसा ही है इस कहानी का नायक जो पर्दे के पीछे रहकर समाज को उजाला देता है। अंधेरे की रोशनी बनकर घर घर गांव गांव लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। पूरे देश को आत्मनिर्भर करने, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने और देश को विकासशील से विकसित की श्रेणी में लाने के संकल्प को खुद का मिशन बनाकर चलने वाला हमारा नायक महान है। वह अंधेरे की रोशनी है, वह प्रेरणास्रोत है।