सिल्वर एनिवर्सरी: निन्यानवें के फेर में पड़कर रमन घर परिवार सब भूल जाता है। कविता कुछ पूछती है, तो उसे भी सपनों की वादियों में ले जाता है। अपराधबोध से ग्रस्त कविता रमन को समझाना चाहती है, पर रमन कुछ सुनने को तैयार नहीं। पर जब समय करवट लेता हैं तो रमन को अपनी गलती का एहसास होता हैं। और वह कविता के सामने फूट-फूट कर रोता हैं। ऐसा क्या हुआ होगा...
पापी देवता: प्यार तो सोनम ने भी किया था, पर वक्त के बदले हुए फैसले पर उसने चुप की मोहर लगा दी। लेकिन विशाल…उसे तो अपना प्यार पाने की जिद थी। उसके लिए उसने अपना जमीर, अपनी अंतरात्मा तक को मार डाला। अपने बड़े भाई को मौत की नींद सुला दिया, फिर भी उसे उसका प्यार नहीं मिला पाया, ऐसा क्या हुआ होगा…
मुक्ति: अनुभा बार- बार हरिद्वार जाने की जिद्द करती है, पर अंध विश्वास और पंडित के कटु वचनों से आशंकित मां मना कर देती है। घर में हर समय चुप्पी का माहौल बना रहता। ऐसा क्या हुआ होगा, जिससे भारती को अपने डर से मुक्ति मिली…
भोर का उजाला: पति को परमेश्वर मान कर, उसके कहे हर आदेश को ब्रह्म वाक्य समझकर पूरा करती। पति के साथ को तरसती दिव्या अपने अस्तित्व को भी भूलने लगी। उसकी सहेली, निशा ने उसके मन में आशा की किरण जगाई, जिससे उसे पति का साथ और प्यार मिल गया। पर ऐसा क्या हुआ होगा…