डा0 विनोद कृष्ण एक प्रख्यात शिक्षाविद् रहे हैं। उन्होंने रुड़की विश्वविद्यालय, रुड़की (वर्तमान में आई0 आई0 टी0 रुड़की) से पीएच0डी0 की उपाधि प्राप्त की तथा लगभग 40 वर्ष चम्बल के छोटे से कस्बे में अम्बाह स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अम्बाह( मुरैना) म0प्र0, में प्राध्यापक पद पर कार्य किया। आपने भूगर्भ विज्ञान तथा पर्यावरण विज्ञान में अनेक शोधपत्र राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय जरनलों में प्रकाशित किये। आपके मार्गदर्शन में अनेक शोधार्थियों ने पीएच0डी0 की उपाधि प्राप्त की। आप म0प्र0 के दतिया व ग्वालियर में इंजीनियर कालेजों के प्राचार्य तथा डायरेक्टर के पदों पर भी कई वर्ष रहे। आपकी समाज की सेवा में स्वाभाविक रुचि रही है, इसलिये आप राष्ट्रीय सेवा योजना, लाॅयन्स क्लब, भारत विकास परिषद , समर्पण आदि संस्थाओं से जुड़ें रहे। आप गीता का अध्ययन सन् 1995 से कर रहे हैं तथा भगवत्गीता कंे अनेक लेखकों की पुस्तकों आपने अध्ययन किया है। भगवत्गीता का उनका यह विवेचन अत्यन्त सरल भाषा में है, जिसे जनसाधारण को आसानी से समझ में आ सकता है और वह इसे व्यवहार में ला सकता है।
वर्तमान में आप ‘एकलव्य ट्रस्ट’ के माध्यम से गुड़गाँव, हरियाणा में लगभग 400 गरीब बच्चों को मुफ्त षिक्षा दिलवाने के साथ साथ उनके व्यक्तित्व विकास के कार्य में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं, जिससे उन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके तथा वे भारत के जिम्मेदार नागरिक बन सके।