प्रस्तुत पुस्तक प्रयास उन व्यक्तियों या समुदायों के लिए है जिनकी आयुर्वेद एवं भारतीय औषध द्रव्यों में रुचि है। आयुर्वेद के स्नातकों, चिकित्सकों के साथ उन सभी व्यक्तियों के लिए भी उपयोगी है जो विभिन्न जड़ी बूटियों को जानने समझने में रुचि रखते हैं। बदलते युग व परिस्थितियों में भी सामंजस्य बनाए रखने के लिए भी एक उत्तेजक व प्रेरणा परक है। अपने आस पास के खेत खलिहानों में, जंगलों व उद्यानों में बहुमूल्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं जिनका ज्ञान, प्रयोग व उपयोग का तरीक़ा तथा खेती करने का तरीक़ा जानना व प्रयोग करना हर किसी का अधिकार है। जानकारी के अभाव में यह ज्ञान का ख़ज़ाना खरपतवार समझे जाने या चारे के रूप में जानवरों द्वारा उपयोग करने से कहीं ज़्यादा औषधी निर्माण द्वारा रोगियों की जान बचाने या धन अर्जित करने में अपना भविष्य देखे।ऐसा लेखिका का प्रण व प्रयास है जो आने वाले समय में नए संकलन के रूप में देखने में जल्दी मिल सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में यादृच्छिक औषधीय पौधों और फ़सल प्रबंधन का वर्णन रंगीन चित्र सहित किया गया है। औषधीय पौधों का हिन्दी, स्थानीय व वैज्ञानिक नामों के साथ साथ फ़ैमिली या प्रकारों का भी ब्योरा दिया गया है। वनस्पतियों के स्वरूप जैसे पेड़, बेल तथा लता आदि के पत्र, तना, फूल, फल या जड़ इत्यादि का वर्णन भी किया गया है।
इसके साथ साथ अभिसरण; खेती से संबंधित संगठनों, व्यवसाय व समुदाय संबंधी सहायता समूह का विवरण देने का उद्देश्य, औषधीय पौधों की खेती को लघु व्यवसाय के रूप में विकसित करवाना व प्रकृति से जोड़ने का प्रयास है। आने वाले समय में बेरोज़गारी तथा भुखमरी या कोरोना जैसी महामारी से निपटने में भी यह सार्थक सिद्ध होगा। वर्तमान समय हर्बल औषधियों का युग है। अतः यह पुस्तक भारत वर्ष की औषधियों की पहचान, खेती, व्यवसाय व गुण धर्म से परिचित होने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।