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Atmnirbhar Bharat

AKA: आत्मनिर्भर भारत
Author(s): Girish Chandra Pande
111

  • Language:
  • Hindi
  • Genre(s):
  • Other Non-fiction
  • ISBN13:
  • 9789355743701
  • ISBN10:
  • 935574370X
  • Format:
  • Ebook
  • Trim:
  • 5.5x8.5
  • Pages:
  • 227
  • Publication date:
  • 01-Nov-2022

Available at

इस पुस्तक में  ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उन 5 स्तम्भों अर्थात् अर्थव्यवस्था,आधारभूत अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत आबादी तथा मांग पर पृथक-पृथक अध्यायों में विस्तार से विवेचन किया गया है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 तक 5 ट्रिलियन डालर की विकसित अर्थव्यवस्था बनने वाले भारत के लिए निर्धारित किए हैं। साथ ही सरकार द्वारा प्रत्येक स्तम्भ को सुदृढ़ रूप प्रदान करने के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों एवं अब तक प्राप्त सफलताओं/उपलब्धियों को भी आंकड़ों के साथ तथ्यात्मक एवं प्रामाणिक तौर पर दिखाया गया है। मोदी के 'पंच प्रण' से आत्मनिर्भर और विकसित भारत को और गति मिलने की सम्भावना है क्योंकि इसके तहत देश को विकसित भारत के रूप में आगे बढ़ाने, गुलामी के सभी निशान मिटाने, भारत की विरासत पर गर्व करने, देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने तथा देश के प्रति नागरिकों के कर्तव्यों का संकल्प शामिल है। यह भारत के आत्मनिर्भर भारत का ही कमाल है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल, अस्थिरता एवं  मंदी के इस कठिन दौर की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आयी बाधाओं के बावजूद भारत पर उसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला और वह अपने अमृत काल में विकास का न केवल अमृत चख रहा है बल्कि नए-नए कीर्तिमान भी स्थापित कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यही है कि ऐसी मौजूदा प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों में भी वह ब्रिटेन को पीछे छोड़कर 2022 में विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गया है और अभी विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। अनुमान है कि 2030 में जर्मनी और जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

आज भारत समूचे विश्व के लिए एक आशा का केन्द्र या कहें कि विश्व का प्रकाश स्तम्भ बन गया है। वैश्विक मंचों पर न केवल उसकी आवाज सुनी जा रही है बल्कि उस पर अमल भी किया जा रहा है। यह एक ऐसा भारत है, जिसने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अपनी उदात्त भावना को अमलीजामा पहनाते हुए कोविड काल के सबसे कठिन दौर में भी वैश्विक भलाई के लिए अपने संसाधनों और क्षमताओं को साझा करने में कोई संकोच नहीं किया। प्राकृतिक आपदाओं व अन्य आपात स्थितियों में प्रथम सहयोगी के रूप में आज भारत की मदद अपने विस्तारित पड़ोस के रूप में इंडोनेशिया से अफ्रीका के पूर्वी तट पर मोजांबिक तक पहुंच गई है।इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत एवं जीवंत नेतृत्व को जाता है और उनकी सोच के आधार पर किए गए अनेकों व्यापक सुधार एवं सरकारी कार्यक्रमों की वजह से आज देश का आम नागरिक न केवल लाभान्वित हुआ है बल्कि वह जोश,उमंग एवं गर्व से भी भरा है और आत्मनिर्भर भारत में अपना हर सम्भव योगदान देने के लिए बेचैन भी दिखाई देता है। इसलिए आशा की जाती है,यह पुस्तक भारत की वस्तुस्थिति जानने के इच्छुक लोगों एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं के लिए भी बहुत लाभप्रद सिद्ध होगी। 

Girish Chandra Pande

Girish Chandra Pande

गिरीश चन्द्र पाण्डे का जन्म १३ जुलाई, १९५७ को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। उन्होंने समाजशास्त्र और हिन्दी में एम.ए. की पढ़ाई की, और पांच पुस्तकें और 'ज्वलन्त मुद्दे' यूट्यूब चैनल पर काम किया। ३८ वर्षों तक सरकारी मंत्रालयों में कार्य करके उन्होंने सेवानिवृत्ति की।

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