कथा साहित्य वस्तुतः जीवन की सबसे नजदीकी विधा है। इसमें जीवन की सामयिक समस्याओं को उभार कर इस कदर प्रस्तुत किया जाता है कि हर घटना जीवंत लगती है। साहित्य समाज की अभिव्यक्ति है। प्रस्तुत पुस्तक में साहित्य में वर्तमान युग की प्रमुख विचारधारा ‘सामाजिक चेतना‘ को विभिन्न सन्दर्भों में अभिव्यक्त करने का प्रयास किया गया है। लेखिका का ‘मनीषा कुलश्रेष्ठ‘ के कथा साहित्य में निरूपित तथ्यों को खोजकर उन्हें पाठक वर्ग के समक्ष प्रस्तुत करना ही प्रमुख उद्देश्य है। इस पुस्तक के माध्यम से आधुनिक युग में विवाह या दाम्पत्य जीवन में आने वाली विश्रृंखलताओं तथा मध्यम वर्ग के टूटते हुए व्यक्ति के मानसिक उद्वेवलन, पुरूष की पैशाचिक कामुकता, देह की भूख, वेश्यावृति, आतंकवाद एवं विस्थापन की पीड़ा, रीति-रिवाज, अनमेल विवाह, बाहरी दिखावा, पाश्चात्य प्रभाव, बदलते परिपेक्ष्य और स्त्री विमर्श को यथार्थ रूप में उभारने की कोशिश के साथ नई गरिमा सहित फलक पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। समाज की तह तक जाकर पात्रों के माध्यम से समस्याओं का विश्लेषण करते हुए सच को प्रदर्शित करना ही इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य है। इन्हीं तथ्यों को आधार बनाकर प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है।